तू जीत, ऐ लड़की!
तू जीत, ऐ लड़की!
तू जीत
कभी हार न मान
ऐ लड़की तुझपर गुमान है मेरा
सपना देख उड़ने की
रंगों भरने तेरी दुनिया की
निकलपड़ जीतने को
जीना तेरा हक़
उड़ना तेरा अहम है
ऐ लड़की तुझपर गुमान है मेरा
तू जीत
कभी हार न मान।
न हार तू कभी प्रयत्न तो कर
जीत न सही खुद का यत्न तो कर
हथियार न फैंक समय से पहले
आखिरी कब तक तू चुप रहेगी
सहने की खिताब जीतेगी
कोई नहीं आएगा तेरे साथ
खुद का मदद तू कर
खुद का तू सहारा बन
ऐ लड़की तुझपर गुमान है मेरा
तू जीत
कभी हार न मान।
दुनिया तोड़ेगी तेरी हिम्मत को
दिखाएगी बदनामी का हद
सिमटकर रहने की सलाह देगी
तोड़ेगी तेरा दिल बार बार
पुरुष के सामने हार मानने
कभी लक्ष्मी भी हुई थी घर से बाहर
तब भी लड़ी थी वह
जब तक जगन्नाथ बलभद्र हार न माने
ना हार मानी थी वह
छोड़ गयी थी आत्मसम्मान से जीने को
ऐ लड़की तुझ पर गुमान है मेरा
तू जीत कभी हार न मान।
पार्वती ने भी छोड़ी थी शिव को
समानता पाने
अकेली निकल पड़ी थी वह
केदारनाथ व्रत कर
शिवजी की अर्धशरीर पाई थी
ऐ लड़की तेरा हक़ न छोड़
तुझ पर गुमान है मेरा
तू जीत
कभी तू हार न मान।
