फूल और मधु
फूल और मधु

1 min

522
ये वादियाँ ये दरख्तें तुम पर निसार है
तेरी सौंदर्य के आगे सभी अभिसार है।1।
हवा में है सुगंध और पत्तों की हरियाली
सुबह को चढ़ाया ज्यों फूलों का हार है।2।
तितलियाँ, चिरैयों की झुरमुटें गुनगुनाये
फूलों पर जैसे आशिकाना अंदाज़ है।
आभास दे रहे यहाँ मधु बेसुमार है।3।
सुंगध से उसकी खींच आई है दूर से
मधुमखी न रोक पाई अपना साज है।4।
तितली, झुठलाई देख मधुमक्खी को
नहीं यहाँ कोई फूलों का भरमार है।5।
मौसम है आर्द्र और 'रेणुका' में नमी
देख प्रकृति भी बन गयी अभिसार है।6।