फूलों पर जैसे आशिकाना अंदाज़ है। आभास दे रहे यहाँ मधु बेसुमार है फूलों पर जैसे आशिकाना अंदाज़ है। आभास दे रहे यहाँ मधु बेसुमार है
मेरे घर के आंगन में, निकली कली, जो आँचल पकड़, मां बुलाने लगी है! मेरे घर के आंगन में, निकली कली, जो आँचल पकड़, मां बुलाने लगी है!