तू ही तू
तू ही तू
न दिल में चैन,
न आँखों में सुकून है !
तुझे चाहना,
तेरी इबादत ही अब जुनून है !
ये महलों का रौनक,
ये वैभव,
बिन तेरे बना श्मशान है !
यादों में तेरे, यूँ तुझ तक पहुँचना ही
अब मेरा मुक़ाम है !
हो लम्बा सफर परवाह नहीं,
तेरे इश्क़ की
मेरे हृदय में कोई थाह नहीं !
गैरो के लिए
लो कर लिए बंद आज,
ये दिल के दरवाजें !
जन्मों जन्मों तक रूह तलक
तेरे लिए लिखा पैगाम है !
इन अधखुली आँखों में
बस तेरा इंतजार है !
तेरी यादों के महल में
खुद को कर ली कैद
खोई तुझमें यूँ
इक बेजान तस्वीर सा हाल है।
ये रंगबिरंगी दीवाल
ये नक्काशीदार दरवाजे
वैभव की गाथा कहती जाए
पर तुझ बिन सुना सुना
लगे ये जहान है।
व्यर्थ की ये भौतिकता लगे
प्रिय तू ही गीता, कुरान है
दुनिया मेरी
इर्द गिर्द घूमती तेरी
विरह का कैसा ये आया इम्तहान है।
छूटे रिश्ते नाते सारे
इश्क में जीना अब
डूबी रहूँ तुझमें
इश्क कैसा जाम है।

