नन्द कुमार शुक्ल

Abstract

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नन्द कुमार शुक्ल

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तू ही सच्चा पिता है हमारा

तू ही सच्चा पिता है हमारा

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तू ही सच्चा पिता है हमारा, 

तू ही दिलबर सनम जां से प्यारा ।

हो के तुमसे जुदा मेरे हमदम, 

कुछ न अस्तित्व होगा हमारा ।

जग की अनजान राहों पे भगवन, 

कर पकड कर दिया है सहारा ।

तेरे अनगिनत है उपकार हम पर, 

हमसे करना कभी ना किनारा ।

छूट जाए जगत कोई हो शत्रु पर, 

तुम से छूटे न रिश्ता हमारा ।

संग तेरा रहे हस के दुख सुख सहू, 

है नही मेरा तुम बिन गुजारा ।

तू ही सच्चा पिता है हमारा, 

तू ही दिलबर सनम जां से प्यारा ।।


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