तू आग है,चिंगारियां धधकने तो दे
तू आग है,चिंगारियां धधकने तो दे
तू आग है चिंगारियां धधकने तो दे
कुछ जले ना जले फ़िकर मत कर,
श्याम रंग क्षितिज पर ढ़लने तो दे!
तू आग है, चिंगारियां धधकने तो दे!
हवा मदमस्त है, उसपर दोष स्वाभाविक है;
अस्तित्व उसमें भी है तेरा, पहचान कर!
ज़ोर आज़माइश हवाओं की बढ़ने तो दे।
तू आग है, चिंगारियां धधकने तो दे;
श्याम रंग क्षितिज पर ढलने तो दे!
पानी को नाज़ है खुद पर, वो तुझसा नहीं;
उसकी प्यास का ज़रा दीदार कर!
फुहारों की कलियाँ ज़रा खिलने तो दे।
तू आग है, चिंगारियां धधकने तो दे;
श्याम रंग क्षितिज पर ढलने तो दे!
