तुमने कभी पूछा ही नहीं
तुमने कभी पूछा ही नहीं
तुमने कभी मुझसे पूछा ही नहीं
कि तुम जो साड़ियाँ मेरे लिए लाते हो,
उनके रंग मुझे पसंद हैं कि नहीं...!
तुम जो सिर्फ अपनी ही बात कहते रहते हो,
उनमें मेरा कभी ज़िक्र क्यों होता नहीं...!
क्या उम्मीदें और सपने सिर्फ तुम्हारे ही होते हैं ?
मेरी आँखों में कौन से सपने पल रहे हैं,
मैं तुमसे और क्या क्या चाहती हूँ
तुमने कभी मुझसे पूछा ही नहीं...!