तुमको प्रणाम है
तुमको प्रणाम है


संस्कृत की गोद हिन्दी का अद्भुत बखान है।
हिन्दी के कुल सपूतों तुमको प्रणाम है।।
तेरे चमन में गंगा यमुना सरस्वती बिराजें ,
बापू ने भी दिया है मान तुमको दिल से।
तेरे साहित्यिक आगार में है शान्ति की निनादें ,
तुझमें ही है शक्ति जो धरती को स्वर्ग बना दे।।
भारत की पुण्य धरती से उठता रहा ज्ञान है।
हिन्दी के कुल सपूतों तुमको प्रणाम है।।
तेरी भुजा में चन्द्रगुप्त जैसा शौर्य है ,
और शिराओं में चाणक्य का तेज है।
तेरी ही ताक़त से अपना गणतन्त्र बना है ,
अधिकार ,समता समानता का अस्त्र मिला है।।
कश्मीर से कन्याकुमारी तक तेरा मान है।
हिन्दी के कुल सपूतों तुमको प्रणाम है।।