STORYMIRROR

Sonam Kewat

Tragedy

4  

Sonam Kewat

Tragedy

तुम्हें पहचान लिया काफी है

तुम्हें पहचान लिया काफी है

1 min
295

भूल गए क्या कि तुमने किस तरह

मुझे पहचानने से भी इनकार किया था

बड़ी मुश्किलों से पहुंची थी तुम तक

पर तुमने मुझे फटकार दिया था!


आंसू किसी से छुपे नहीं थे मेरे पर

तू नजर अंदाज करके निकल गया था

विश्वास नहीं होता क्या इतने कठोर

इन्सान पे मेरा दिल पिघल गया था!


सारे घाव ताजा हो गए जाने कैसे

आज तुम्हें अरसो बद सामने देखकर

रो पड़ती हूँ मैं भी कभी कभी

वो सारी बिती बातों को सोचकर!


दिल तुमने तोड़ा था मेरा कभी मगर

चलो अब दे दिया तुम्हें माफी है

इससे ज्यादा उम्मीद मत करो मुझसे

तुम्हें पहचान लिया ना वही काफी है!


अब मैं पहले जैसे नहीं बदल चुकी हूँ

मेरी जिंदगी में तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है

मेरी जिंदगी में कोई और आ चुका है अब

बेशक तुम्हें रोकने की कोई वजह नहीं है!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy