तुम्हें पाने को
तुम्हें पाने को

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बाहर बरसात,
भीगे अंदर मन,
तुम्हें पाने को।
ये मौसम का,
बदलता मिजाज,
तपती अगन,
माँगे संगम,
भीगे अंदर मन,
तुम्हें पाने को।
थोड़ा इशारा,
कुछ देर नजारा,
प्यासे अधर,
भटके नयन,
भीगे अंदर मन,
तुम्हें पाने को।
एक तनहाई,
मुझमें समाई,
चारों तरफ,
तेरा दर्पण,
भीगे अंदर मन,
तुम्हें पाने को।
दबती ख्वाहिश,
वक्त नादान,
फिर कभी हो,
अपना संगम,
भीगे अंदर मन,
तुम्हें पाने को।
रुकती बरसात,
शिथिल तन,
एक तूफान,
भरे अपना दम,
भीगे अंदर मन,
तुम्हें पाने को।
बाहर बरसात,
भीगे अंदर मन,
तुम्हें पाने को।