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Vaibhav Rashmi Verma

Romance

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Vaibhav Rashmi Verma

Romance

तुम्हारे ख़त

तुम्हारे ख़त

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मत गुनगुनाया करो यूँ तन्हाइयों में तुम    

कहीं इश्क़ की बातें सरे आम न हो जाये


कितनी बेबाक़ी से कह दिया कि इश्क़ है तुमको। 

तो क्यों तकलीफ़ें अपनी छुपाना चाहता हो।।


कितने खतों को छुपाया है तुमने।

क्या मैं आज भी हूँ उनमे।।


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