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Vaibhav Rashmi Verma

Abstract

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Vaibhav Rashmi Verma

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मेरे लफ़्जों से

मेरे लफ़्जों से

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अभी खामोश है समंदर तो चलो पार कर लो।

आएगा तूफां तो कश्ती निकाल न पाओगे।।

न कर इश्क़ की तासीर तीखी है।

मिल गए जो लब तो प्यास बुझा न पाओगे।।

बैठे थे कभी रख सिर जिसके काँधे पर तुम अपना।

उसी का छोड़ कर तुम हाथ सरे बाज़ार हो आये।।


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