STORYMIRROR

Vaibhav Rashmi Verma

Romance

3.4  

Vaibhav Rashmi Verma

Romance

बज़्म 2

बज़्म 2

1 min
582


कितने ज़ख़्मो को दिल मे छिपाया है तुमने।

फिर से किसी को मोहब्बत बनाया है तुमने।।


वो था न मोहब्बत के क़ाबिल कभी,

फिर भी काट दी इंतज़ार में कितनी रातें तुमने।

अब आईने को गौर से देखो ज़रा,

क्या फिर सूनी माँग को सजाया है तुमने।।


कितने दामन थामे कितने साथ छोड़ गए।

तब भी तो तन्हा थे अब भी तन्हा रह गए।।


न बारिश आंखों की रुकी न प्यास लबों की मिटती है।

तमाशा ही है जिंदगी का पिस कर ही मेहंदी रचती है।।


काश के कह पाता के सब ठीक है।

ये तो जिंदगी है कभी तीखी कभी मीठी हो ही जाती है।।


बस ये तो आंखे है जो हाल-ए-दिल बता देती है।

वरना अब ज़ुबां कहाँ कुछ कह पाती है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance