तुम्हारे इश्क़ की बूंदें !
तुम्हारे इश्क़ की बूंदें !


कितना कुछ मुझे देती है
तुम्हारे इश्क़ की ये बूंदें
मुझको हमेशा रखती है
पूरी तरह तर-बतर
तुम्हारे इश्क़ की ये बूंदें।
तुम्हारे प्रेम का अंश है
तुम्हारे इश्क़ की ये बूंदें
तुम्हारा प्यार बनती है
तभी तो मुझे छूती है।
तुम्हारे इश्क़ की ये बूंदें
तुम्हारे जज्बात बनती है
फिर कितना कुछ कहती है।
तुम्हारे इश्क़ की ये बूंदें
मेघ मल्हार बनकर बरसती है।
तभी तो मैं हरी-भरी तुम्हारे
प्रेम की चादर ओढ़ती हूँ ।
तुम्हारे इश्क़ की ये बूंदें
कितना कुछ मुझे देती है !