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Ankita kulshrestha

Abstract

1.8  

Ankita kulshrestha

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तुम्हारा प्रेम:मेरा छठा तत्व

तुम्हारा प्रेम:मेरा छठा तत्व

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इक दिन

मेरी ये देह

अग्नि को समर्पित

हो जाएगी..

मिल जाएगी 

पंचतत्वों में..

जिनसे मिलकर बनी है

अग्नि ,जल ,वायु,

गगन, धरा ..

परंतु

फिर भी एक तत्व

मेरा रह जाएगा

इसी दुनिया में

तुम्हारे भीतर 

समाया हुआ

ह्रदय के किसी कोने में

सिमटी रहुंगी मैं

जाने के बाद भी

तुम्हारे साथ

जब तुम मग्न होगे

अपनी छोटी सी 

दुनिया में..

मात्र देह नही अब मैं

तुम्हारे प्रेम का 

तत्व भी मिश्रित है मुझमें

मेरा छठा तत्व

जो रह जाएगा

तुम्हारे साथ

देह नश्वर हो भले

परंतु

आत्मा तो

अमर अजर है..

है न?

 


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