तुम
तुम
बसे हो तुम
नैनों में स्मृति बनकर
पुकारते हो तुम
अधरों का स्वर बनकर
मिलते हो तुम
श्वासों में स्पंदन बनकर
बहते हो तुम
नस नस में लहू बनकर
मिलते हो तुम
हृदय का प्रेम बनकर
क्योंकि तुम ही तो हो
मेरी जीने की एक वजह।

