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क़लम-ए-अम्वाज kunu

Romance Fantasy

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क़लम-ए-अम्वाज kunu

Romance Fantasy

तुम

तुम

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मेरी समस्त सृष्टि का आधार तुम 

सहज स्वफूर्त निर्विकार तुम 

हृदय को दी अद्भुत प्रेरणा तुम 

मिटा मन की अंधियारा वो तेजकुंभ तुम 

जीवन का अनोखा अहसास तुम 

हृदय का हृदय से संवाद तुम 


जुबां खामोश निगाहों का बयां तुम 

आकर्षण है जिसका आधार 

वो सीरत श्रृंगार सौंदर्य तुम 

अंतर्मन की ज्योतिर्मय जहान तुम 

सतत निर्झर निर्मल प्रवाह तुम 


यह उन्मुक्त होता है स्वच्छंद नहीं 

दिल की गहराइयों में तुम 

विवेकपूर्ण सार तुम सात्विक प्रेम तुम

आग्रह नहीं सम्मान कि वृती तुम 


सारी वेदनाएं मेरी हर लेती 

निश्छल प्रेम की परिभाषा तुम 

केवल जिद नहीं साधना तुम 

प्रेयसी ही नहीं मेरी काव्य सरिता तुम 


मन को सुवासित कर जाती 

मेरी प्रणय प्रसून संवेदनशीलता तुम 

ख़्वाब तुम मंजिल तुम 

मैं मुसाफिर मतवाला मेरी राह तुम 


प्रेम की मीठी वाणी तुम 

संपूर्ण समग्रिग उदित नई सुबह तुम 

सती ,पार्वती राधा तुम 

अनात्म से आत्म को जोड़ती 

मेरी अर्धांगिनी मेरी जां मेरी मां तुम 



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