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Nirupama Mishra

Romance

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Nirupama Mishra

Romance

तुम सुंदर हो

तुम सुंदर हो

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फूलों के लिबास में लिपटी

हरियाली की ओढ़नी लिए

लावण्य तुम्हारा


मन को मोहता ही रहा,

तुम्हारे मोहपाश में बंधे

आकण्ठ डूबे


तुमसे मिलने के लिए हवाओं से

रास्ता पूछा,

तुम्हारे प्रेम में डूबी आँखें

बहुत करीब से देखना चाहती हैं तुम्हें,


झरनों की मधुर आवाज़

मन को आकर्षित करती है,

स्पर्श से महसूस करना

चाहती हूँ तुम्हारे रूप को,

मिलन को लालायित हमेशा तुम्हारी


खुशबू के पीछे-पीछे

उम्र के पायदान चढ़ते कितनी दूर चली आई

ये मालूम नही हुआ मुझे,


दुर्गम , पथरीले रास्तों से गुजरते

तु्म्हारे करीब आने का

सुरूर - सा छाया रहा बस,

प्रकृति तुम कितनी सुंदर हो,

तुम्हारी सुंदरता को

आत्मसात करना चाहती हूँ मैं।


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