तुम साथ नहीं
तुम साथ नहीं
अब तो कट जाती हैं रातें यादों में
तुम साथ थे जब वो रात अलग थी
ख़ुद से ज्यादा तुम्हारी फिक्र रहतीं
पर अब ख़ुद कि भी नहीं रहतीं है
तन्हा रहना अब भा गया है हमको
तुम्हें अब हमारी जरूरत जो ना रही
अब तो मैं और मेरी कलम है साथ
जीने को अब कविताएं ही तो रही
लीख देता हूं थोड़ा ख़ुद को तुझको
पर मैं तुम्हें अब मेरे साथ नहीं लिखता।