हम बच्चे हुआं करतें थे।
हम बच्चे हुआं करतें थे।
बारिश में उछलकर जीते थे
नावों में यादें बहा करते थे
गली-गली में हम घूमते थे
हम ही गांव का नक्शा थे
न धूप न ठंड कि फ़िक्र करते
हम पूरी मस्ती से जीया करते
दोस्तों से कभी कट्टी करते थे
कभी दोस्तों से बट्टी करते थे
दिन-रात का अंतर हम नहीं,
करते हम तो बस खेलते थे
ये उन दिनों की बात है जब,
हम बच्चे हुआ करते थे ।