सत्यता।
सत्यता।
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झोले वाले भी अमीर देखें
महल में रहते गरीब देखें
ईमान बिकता है बाजार में
झूठ के भी है पुजारी देखें
बहार से बतलाते जो प्यार
अंदर से नफ़रत के भंडार थे
अपना अपना कहने वाले भी
वक़्त आया तो पराए निकले
यहां सच कहो तो रुठते है लोग
झूठ कहो तो तालियां पीटते है
कौन है सच्चा जग में 'हर्ष'
दुःख के साथी हो वही बड़े है।