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Harsh Kanojiya

Inspirational Others

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Harsh Kanojiya

Inspirational Others

जाना रे उस डगर पार

जाना रे उस डगर पार

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आभ टुटे शरद आये चाहे हो धूप 

मुझको तो जाना रे उस डगर पार।


कभी आंघी कभी तुफां क्या-क्या 

रास्ते में आता हैं मुझको पर कब

वें सभी रोक पाते है मैं तो चलता हूं

धीरे धीरे गति मैं अपनी बढ़ाता हूं


आभ टुटे शरद आये चाहे हो धूप 

मुझको तो जाना रे उस डगर पार


थकान से अपनी थोड़ा सा थमता हूं

पर मैं कब अपनी रहा को छोड़ता हूं

गिरता उठता मैं तो फिर से चलता हूं

धीरे धीरे रहा अपनी पार करता हूं


आभ टूटे शरद आये चाहें हो धूप 

मुझको तो जाना रे उस डगर पार


गांव, शहर, जंगल भी धूमता हूं

पाने को मैं तो मंजिल झूमता हूं

दरिया भी हो तो करु उसे पार मैं

मैं तो पहाड़ों से भी टकरा जाऊं  


आभ टुटे शरद आये चाहे हो धूप 

मुझको तो जाना रे उस डगर पार।।



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