तीन दिशाओं में
तीन दिशाओं में
तीन दिशाओं में अंधेरा था
एक दिशा में रोशन पंथ था
और मैं तुम्हें वही ढुंढ रहा था
और तुम छुपी रही अंधेरे में थी
जैसे चांद बादल में छुप गया हो
हमें मिलना चाहिए था इस वक़्त
यें मौसम कि जेसे पुकार थी
हमें बहना चाहिए था संग संग
ख्यालों में भी मोहब्बत में भी
हमें उस पार इस पार बिछड़ना नहीं
मिलना चाहिए था एक दूजे में।