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Harsh Kanojiya

Others tragedy

4.4  

Harsh Kanojiya

Others tragedy

आंखो से निकलते अश्रु

आंखो से निकलते अश्रु

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आंखो से निकलते अश्रु ने कहा दर्द बहुत है

होठों ने मुस्कुरा कर कहा बात तो सच है 


कोई चलता रहागीर पूछता है हाल कैसा है

जुबा ने कहां ठीक हूँ पर सच दिल जानता है


व्यसता है अभी काम बहुत है फिर मिलेंगे

सच है कि मोबाईल फोन मे काम बहुत है


तारी़फो का गुलदस्ता लाया है कोई मिरे लिए

अच्छा लगता हैं मुझसे कुछ जरुरी काम है


बिना समझे जाने परखा गया हूँ मैं यहां पर

ज्ञानी बहुत हैंं लोग यहां पर परिणाम देने को


हकीकत से रुबरु होगे जब तो जानेगे लोग

प्रेम है जिन्दगी नफरत नहीं तब पछताऐगे


वक्त निकालो रिशतो के लिए, दोस्तो के लिए

ये जिन्दगी है मृत्यु पर मांगे न मिलेगा कुछ ।


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