तुम न जाने कहाँ खो गई
तुम न जाने कहाँ खो गई
भावपूर्ण श्रद्धांजलि
ऐ मेरे वतन के लोगों
जरा आँख में भर लो पानी
स्वर साम्राज्ञी लता जी की
न सुन पाएँगे फिर मधुर वाणी।
आप ना जाने किस जहाँ में खो गई
प्रभु के आँगन की कली बन गई
बन के सबा बाग-ए-वफा में
प्रभु-अँगना की महक बन गई ।
आपके गीतों में आपकी वाणी
अमर रहेगी युगों -युगों तक मानी
'आप रहे या ना रहे' मन में ना आनी
हम सबके दिलों में बसी आप दिलजानी ।
ना चाहते हुए भी स्वीकारते हैं
आँखों में पानी भर आँसू पी लेते हैं
भरी आंखों से सोचते रह जाते हैं
तुम ना जाने किस जहाँ में खो गई।
स्वर कोकिला आपके गीतों ने
आपकी स्वर लहरियों की खुशबू ने
देश विदेश सबको महकाया है
मातृभूमि का गौरव बढ़ाया है।
बार-बार मन गाता है ,
ऐ मेरे वतन के लोगों ,
जरा आँख में भर लो पानी,
यही मेरी विनम्र श्रद्धांजलि।
