तुम लौट आओ
तुम लौट आओ
बहुत हो गई यह बेखुदी, यह जुदाई
क्या इसी के लिए हम पास-साथ आये थे?
भूल हो गई मेरी, पर सुधार भी ली है मैंने,
अब तो माफ कर दो, लौट आओ मेरे साथ!
गई हो जब से तुम, ज़िन्दगी रूखी-रूखी सी है,
ज़िंदा है लेकिन ज़िन्दगी में एक कमी सी है।
तुम हो जीने की तमन्ना, तुम ही हो मेरी बंदगी,
जाने से तुम्हारे दिल में बड़ी नमी सी है!
जीने की आरज़ू हो तुम, मेरी महालक्ष्मी हो तुम,
दिल की आस हो तुम, जीवन की प्यास हो तुम।
हो के जुदा सहा नहीं जाता, बिन तेरे अब रहा नहीं जाता,
ख्वाहिश-ए-ज़िन्दगी की हकीकत हो तुम,
दिल हो तुम - मेरी जान हो!!
आखिरी समझ के माफ कर दो मेरी वो गलती,
बिना तेरे मेरी यह राह नहीं कटती।
तुम ही हो सूरज, तुम ही मेरा चाँद हो,
आ जाओ वापस तुम बिन ज़िन्दगी नहीं चलती!!

