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Anagha Dongaonkar

Romance Classics

4  

Anagha Dongaonkar

Romance Classics

तुम ही हो

तुम ही हो

1 min
353


मेरे हर शब्द में तूम 

मेरे हर लब्ज में तुम

 मेरे हर एहसास में तुम

 मेरे जज्बात में तुम


 मेरे हर राग में तुम 

मेरे हर सुर में तुम 

मेरे हर धुन में तुम 

मेरा जीवन संगीत तुम


 मेरी सोच में तुम 

मेरी रचना में तुम 

मेरी कविता में तुम 

मेरी पूजा में तुम 


मेरी आस्था में तुम

 मेरे गीतो गजलों में तुम

 मेरी हर कविता में तुम

मेरे हर लफ़्ज़ में तुम


 मेरी मुस्कान में तुम 

मेरी तनहाई में तुम

 मेरे सुकून में तुम 

मेरी आंखों के सागर में 

पलकों के किनारों पर


 बिखरे हुए मोती में तुम 

मेरी पूजा में जो महके चंदन

उस खुशबू में तुम 

आरती की दीपक की 

लौ में तुम


 सुबह आंख खुलते ही सूरज की

पहली किरण में तुम

 रात में बादलों के पीछे छुपे

हुए सितारों में तुम

 मोगरे के फूलों की महक में तुम


 चाय की मीठी मीठी चुस्की में

मेरे घर के हर कोने कोने में

 तुम

 मेरी आंखों में तुम

 मेरी बातों में तुम

मेरे कैनवस पर बिखरे हुए रंगों में तुम


 तुम ही तुम हो

 तुम मुझ में हो

 मैं मेरी बाकी कहा रही

 मैं तो तुम बन गई ना 

क्या तुम भी मैं बन गए 

हो सच कहना ना जरा।


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