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Anagha Dongaonkar

Romance Classics

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Anagha Dongaonkar

Romance Classics

तुम ही हो

तुम ही हो

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मेरे हर शब्द में तूम 

मेरे हर लब्ज में तुम

 मेरे हर एहसास में तुम

 मेरे जज्बात में तुम


 मेरे हर राग में तुम 

मेरे हर सुर में तुम 

मेरे हर धुन में तुम 

मेरा जीवन संगीत तुम


 मेरी सोच में तुम 

मेरी रचना में तुम 

मेरी कविता में तुम 

मेरी पूजा में तुम 


मेरी आस्था में तुम

 मेरे गीतो गजलों में तुम

 मेरी हर कविता में तुम

मेरे हर लफ़्ज़ में तुम


 मेरी मुस्कान में तुम 

मेरी तनहाई में तुम

 मेरे सुकून में तुम 

मेरी आंखों के सागर में 

पलकों के किनारों पर


 बिखरे हुए मोती में तुम 

मेरी पूजा में जो महके चंदन

उस खुशबू में तुम 

आरती की दीपक की 

लौ में तुम


 सुबह आंख खुलते ही सूरज की

पहली किरण में तुम

 रात में बादलों के पीछे छुपे

हुए सितारों में तुम

 मोगरे के फूलों की महक में तुम


 चाय की मीठी मीठी चुस्की में

मेरे घर के हर कोने कोने में

 तुम

 मेरी आंखों में तुम

 मेरी बातों में तुम

मेरे कैनवस पर बिखरे हुए रंगों में तुम


 तुम ही तुम हो

 तुम मुझ में हो

 मैं मेरी बाकी कहा रही

 मैं तो तुम बन गई ना 

क्या तुम भी मैं बन गए 

हो सच कहना ना जरा।


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