तुम बिन
तुम बिन
मेरे सनम,तुम बिन,
बुझा-बुझा सा मन।
न आरज़ू जीने की,
तमन्नाओं ने ओढ़ा कफ़न।
कट रही यह जिंदगी,
बस, गुजर रहा लम्हा।
तुम बिन कुछ भी नहीं,
तुम बिन सब धुआँ-धुआँ।
केसे सहूँ साँसों की घुटन,
बिन पानी मछली यह मन।
ख़ामोश आँखें, चुप जुबाँ,
तड़पता तन, बिन प्राण।
गुजरती हवा तू ही बता,
केसे हो उन से मिलन ।
कुछ तो बता,
ए चंदा की चाँदनी,
कहाँ खोए मेरे सनम।

