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Monika Garg

Romance

3  

Monika Garg

Romance

तुम बिन

तुम बिन

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मेरे सनम,तुम बिन,

बुझा-बुझा सा मन।


न आरज़ू जीने की,

तमन्नाओं ने ओढ़ा कफ़न।


कट रही यह जिंदगी,

बस, गुजर रहा लम्हा।


तुम बिन कुछ भी नहीं,

तुम बिन सब धुआँ-धुआँ।


केसे सहूँ साँसों की घुटन,

बिन पानी मछली यह मन।


ख़ामोश आँखें, चुप जुबाँ,

तड़पता तन, बिन प्राण।


गुजरती हवा तू ही बता,

केसे हो उन से मिलन ।


कुछ तो बता,

ए चंदा की चाँदनी,

कहाँ खोए मेरे सनम।


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