तुम और मैं
तुम और मैं
तुम और मैं
दोनों चुप चुप हैं
हम दोनों के बीच
शब्द कहीं गुम हैं
मौन हो तुम
मैं भी हूँ गुमसुम
इश्क हुआ बेजुबान
चाहत का टूटता है दम
सहमे सहमे तुम
पथराई सी मैं
हवायें हैं महकी महकी
रंगीन फिजायें हैं
कितना हसीन समां है
चुप्पी तोड़ो
बंद होंठ खोलो
लफ्जों को जुबान पर
आने दो
एक बार नजरों से ही
प्यार बयां कर दो
इस दो पल की जिन्दगी को
जी भरकर जीने दो
'मैं' और 'तुम' को
'हम' होने दो ।

