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Minal Aggarwal

Fantasy

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Minal Aggarwal

Fantasy

टूटता सितारा अंतरिक्ष से

टूटता सितारा अंतरिक्ष से

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यह अंतरिक्ष 

एक बगिया 

उस पर फैले 

सितारे 

उसके फूल 

यह फूल 

जुगनुओं से चमकते भी हैं 

चांद की सुनहरी रोशनी 

में 

आकाश की काली चादर 

पर 

टिमटिमाते एक शरारे से 

खिलते भी हैं 

अंतरिक्ष भरा हुआ 

रहस्यों से 

इसका हर सितारा 

खुद में एक रहस्य 

अभी तो देख पाते 

दूर से इन्हें हम 

कभी चांद के रथ पे

सवार होकर 

पास जाकर इन्हें 

छूकर भी देखेंगे हम 

हवा में जो सुगंध 

होगी 

वह तो हो न हो 

इन्हीं की होगी 

यह महकते भी हैं

प्यार के अहसास से 

ऐसी अनुभूति तो 

इनके दिल में समाकर ही 

होगी 

परियां भी नाचती होंगी 

तितलियों सी 

इनके आजू बाजू 

अपने पंख फैलाये 

समेटती जो होंगी 

किसी सितारे को 

अपने आगोश में 

चिपक जाता होगा 

वह एक हीरे जवाहरात और 

मोती सा 

उनके लिबास में 

करते होंगे आपस में सब 

न जाने कितनी ही 

मीठी बातें 

सुनाती होंगी परियां 

सितारों को परीलोक के 

अनोखे जादुई न जाने कितने ही 

किस्से और कहानियां 

टूटता होगा जो कभी 

कोई सितारा अंतरिक्ष से और 

गिरता होगा उसका 

एक टुकड़ा लश्कारे 

मारता 

जमीन पर तो 

रो पड़ती होगी परियां 

उनकी पलकों से टपकते 

होंगे जो आंसू 

वह बन जाती होंगी 

बारिश की बूंदों की 

लड़ियां 

जमीन के किसी बाग तक 

पहुंचते पहुंचते 

एक बर्फ की परत सी

जमने लगती होंगी और 

गिर पड़ती होंगी 

एक ओस की बूंद सी 

मोती सी ही सुंदर 

किसी फूल की 

पंखुड़ी के कोमल बदन पर।


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