टूटा हुआ रिश्ता
टूटा हुआ रिश्ता
एक अरसा हुआ तेरे ग़म को
सीने से लगाकर जीते हुए
वक़्त आ गया है तुझे
खुद से अलग करने का ,
हिम्मत कर के खोली वो
दराज़ जो भरी थी तेरे तोहफों से
वो कान की बाली जो
तुम लाये थे पहली बार
कुछ नाग निकल गए हैं
फिर भी उतनी ही हसीं है
उससे भी ज़्यादा हसीं है तेरी वो
नज़र जो अब तक उलझी
है मेरे कानों से।
वो बेशकीमती घड़ी जो तू
म लाये थे बड़े चाव से
जिसे देखकर मेरी आँखें भी हैरान थी
किसी राजकुमारी की लगती&
nbsp;है ये तो।
तुमने बड़ी अदा से
पहनाया था उसे मेरी कलाई पे
अब वो भी बंद पड़ी है
हमारे रिश्ते की तरह
पर वो लम्हा अब भी
टिक टिक कर रहा है
मेरी कलाई पे।
एक खत भी मिला जिसके
खोलने पे उसका पुराना कागज़
सूखे फूल की तरह बिखर गया
और उस पे लिखा हर एक
लफ्ज़ मुझे अंदर तक महका गया
कमरे में तुम्हारे वुजूद की
खुशबू फिर बिखर आयी
तुमसे जुदा होने की कोशिश
एक बार फिर दम तोड़ गयी
एक बार फिर दम तोड़ गयी।"