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मुंबई बारिश

मुंबई बारिश

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मुंबई की बारिश बहुत ही ख़ास,

ख़ामोश आमद है इसका अंदाज़।

न दस्तक़ न आहट न कोई हलचल,

मनमौजी बच्चे की तरह आते हैं बादल।


ग़ुस्सैल मास्टर की तरह न गरजना,

न गड़गड़ाना, न घुमड़ घुमड़ के डराना।

अचानक ही बस ज़ोर से बरस जाना जैसे,

कोई बच्चा रोये जब छीने कोई खिलौना।


और अगले ही पलसब कुछ भूल कर,

दिल खोल कर हँसाना और मुस्कुराना।

लुका छुपी करती है बारिश यहाँ,

पल में आना और पल में चले जाना।


भागो, पनाह लो , छतरी निकालो,

इसके पहले ही सभी को भीगा देना।

और पलक झपकते ही चले जाना,

जब तंग आ जाते हैं बादल इस शहर की रफ़्तार से,

तब एक के बाद एक बरस जाते हैं कतार से।


लगा देते हैं बारिशों की धुआंधार झड़ी,

बंद हो जाती है लोकल थम जाती है ये जादू नगरी।

तब दिखता है इस शहर का नया चेहरा,

एक हो जाता है शहर जो लगता है बिखरा बिखरा।


एक दूसरे का हाथ थाम कर आगे निकल जाते हैं,

कोई बढ़ाता है छतरी, कोई बिस्किट, कोई पानी।


देते हैं एक दूसरे को ढारस,

जूटा लेते हैं एक दूसरे से साहस।

बना लेते हैं नए रिश्ते अनजानों से,

चमक जाते हैं काई जमे रिश्ते अपनों के।


चमका के रिश्ता जब चमक पड़ता है सूरज,

चल पड़ती है मुम्बई, चल पड़ती है मुंबई।


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