रात
रात
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कभी काली घोर अँधेरी रात,
तो कभी तारों से झिलमिलाती रात।
कभी इस रात पर आ बैठा दूध सा पूरा चाँद,
तो कभी आधा कभी तश्तरी सा रह जाता चाँद।
पूरे दिन का अंजाम है ये रात,
या दिन भर के बाद का आराम है ये रात।
कोई किसे के मीठे ख्वाबों में बीतता है रात,
तो कोई ख्वाबों को पूरा करने के लिए जलाता है अपनी रात।
किसी के लिए काली चादर है रात,
तो किसी के लिए झिलमिलाती सौगात है ये रात।
पर हर किसी के लिए नई सुबह की शरुवात है ये रात,
नए रंगो से भरी सुबह , नए तरंगो से भरी सुबह जब देखती होगी रात।
मेरी इतनी खूबसूरत बेटी,
हैरान सी ये भी सोचती होगी रात !
