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VIVEK ROUSHAN

Abstract

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VIVEK ROUSHAN

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तटस्थ रहना

तटस्थ रहना

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मैंने आदमी से सीखा है 

स्वार्थी होना 

मैंने जानवरों से सीखा है 

प्यार करना 

मैंने उजड़ते हुए जंगलों 

से सीखा है 

मुस्कुराते रहना 

मैंने नदियों से सीखा है 

खामोश होकर 

चुप-चाप बहना 

मैंने पहाड़ों से सीखा है 

टूटकर भी 

तटस्थ रहना |



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