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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Abstract Inspirational

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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Abstract Inspirational

तत्क्षण

तत्क्षण

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1.

नदियां

अविराम बहती

सबसे यही कहती

कल कल 

अस्तित्वहीन ।

2

समरूपता

प्रवाह की

जल निरंतर अग्रसर

चंचल आतुर

मनोरथसम ।

3.

नवयात्रा 

पथ वही

नवपथिक नवलय नवताल

सौम्य असौम्य

अपरिहार्य

4.

लक्ष्य

एकाकार साक्षात्कार

बिंन्दू का सिंधु

होना बनना

सार्थकता ।

5.

अनुभव

रास्ते का

पथप्रदर्शक अनुगामी का

शाश्वत महत्वपूर्ण 

तत्क्षण।



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