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Vivek Agarwal

Inspirational

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Vivek Agarwal

Inspirational

टेफ्लॉन (Teflon)

टेफ्लॉन (Teflon)

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मोम का नहीं हूँ मैं जो, पिघल जाऊँ थोड़े ताप से।

पाषाण भी नहीं मैं जो, रहूँ अछूता तेरे संताप से।

स्वर्ण का नहीं बना जो, करे कामना दुनिया सारी।

काँच की काया न है मेरी, जो टूटे एक आलाप से।


लौह नहीं जो नम आँखों से, लग मुझको जंग जाये।

बेरंग नीर भी नहीं हूँ मैं, जिसको हर रंग रंग जाये।

मैं दुग्ध भी नहीं जो, सह नहीं सकता तेरी खट्टी बातें। 

मिट्टी का भी मैं नहीं बना, जो गिर कर हो भंग जाये।


लकड़ी जैसा नहीं हूँ मैं, जो पावक में जल जाऊँ। 

न हिमकण सा नाजुक मैं, जो छूने से गल जाऊँ।

पुष्प नहीं जो पौधे से हट कर, दो दिन रह न पाता।

रुई सा हल्का नहीं बना, जो झोंके में उड़ जाऊँ।


मैंने सीखा है हर दिन, सज-सँवर के खुश दिखना।

परोपकार के निमित्त फिर, भीषण अग्नि पर चढ़ना। 

तैल नून हल्दी मिर्ची का, मुझ पर असर न होता।

टेफ्लॉन हूँ मैं मित्रों, तुम सब मेरी फ़िक्र न करना।

 


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