दो सिरे खोज लेते हैं, और उसे खींचते रहते हैं ! दो सिरे खोज लेते हैं, और उसे खींचते रहते हैं !
तिनकों से नहीं मुलायम रूई सी वह फूल बस घास के ही लाती है। तिनकों से नहीं मुलायम रूई सी वह फूल बस घास के ही लाती है।
छा रहे हैं काले बादल , घनेरे , उड़ रहे हैं, आग के गोले से। छा रहे हैं काले बादल , घनेरे , उड़ रहे हैं, आग के गोले से।
लकड़ी जैसा नहीं हूँ मैं, जो पावक में जल जाऊँ लकड़ी जैसा नहीं हूँ मैं, जो पावक में जल जाऊँ
मिट्टी का दीया, और रुई की बाती, युगों युगों से दोनों, एक दूसरे के साथी। मिट्टी का दीया, और रुई की बाती, युगों युगों से दोनों, एक दूसरे के साथी।