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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

Fantasy

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गुलशन खम्हारी प्रद्युम्न

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तरुवर तुमको नमन है...

तरुवर तुमको नमन है...

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विशालता की पहचान,हे! तरुवर तुमको नमन है

हरीतिमा से युक्त सृष्टि के सम्मान तुमको नमन है

जलदाता विधाता हे ! प्राणवायु प्रदाता तुमको नमन है

हे!राग,भैरवी व मल्हार के उद्गाता तुमको नमन है(१)


तुम ही हो विपिन,कान्तार और बीहड़ जंगल कोई,

नश्वर इस शरीर की सुख शांति शुभ मंगल कोई ।

तुम हो जनयिता, सृष्टि कर्ता तुमसे मरू उर्वर हुई है,

अंग-अंग परोपकार के लिए विचित्र ऐसी तरुवर हुई है।


चोट खाकर भी मूक-मौन सहन तुमको नमन है

खंडित सृष्टि के तुम हो मंडन तुमको नमन है

वन-वन वनवास जीने वाले हे! रघुवर तुमको नमन है

विशालता की पहचान,हे! तरुवर तुमको नमन है(२)


पुष्प कुसुम पुहूप और पंखुरी के महुवर तुमसे है,

कालचक्र का पहिया लिए घुमंतू यायावर तुमसे है ।

निर्झरिणी निर्झर बहती सरिता का सरोवर तुमसे है,

गीता, वेद, पुराण से ज्ञानदाता विद्या महेश्वर तुमसे है।


हे!माया के मायावर अर्थमय शब्द वर्ण स्वर तुमको नमन है

नवयुग के पर्यावरण नियंता हे!रहबर तुमको नमन है

विशालता की पहचान हे ! तरुवर तुमको नमन है(३)


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