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ritesh deo

Tragedy

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ritesh deo

Tragedy

त्रासदी रही

त्रासदी रही

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त्रासदी रही!!

स्त्री में..

प्रतिभा से अधिक

सौन्दर्य देखा गया

सादगी से इतर

श्रृंगार से आंका गया


ममता

करुणा

कोमलता से तौला गया


हर रुप में देखा गया

वस्तु बना

बाजार में भी बेचा गया

वर्षों तराशा जो चरित्र अपना

एक ग़लती पर भी गुनाहगार सा देखा गया


सभ्य

पुरातन

समाज ने

वो सब देखा

जो चाहा

बस स्त्री ने जो देखा

उसे अनदेखा किया गया।।



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