तन्हाई
तन्हाई


सुबह चुबती है मेरी आँखों में
अँधेरा हमसफ़र सा लगता है
तेरी दी हुई तन्हाई से
खुस से मिलने से दर लगता है
ये सूखे हुए पत्ते
ये उजरि सखायें
यादें बुझी सी लगती है
अँधेरा हमसफ़र सा लगता है
दूर जाती दिखती है मंजिलें
थका सा महसूस होता है
होटों से खिलती हंसी ढल गयी
गम में डूबा चला जाता है
सुबह चुभती मेरी आँखों में
अँधेरा हमसफ़र सा लगता है
यूँ सिमट कर बहती हवा
ये उड़ता हुआ धुआँ
कोयल की कलरव लगती कर्वी
सारा जहाँ वीरान दीखता है
सुबह चुभती है मेरी आँखों में
अँधेरा हम सफ़र सा लगता है।