तन्हाई
तन्हाई
चांद है चांदनी है और इस रात की तन्हाई है।
सूनी सी इस रात में फिर तेरी याद आई है।।
ख्वाबों में मेरे बस एक मुलाकात आई है।
फिर कुछ नटखट लम्हों की याद आई है ।।
चांदनी रातों में चेहरा तेरा चांद बन मुस्काता है।
बीते लम्हों की फिर याद वो यूं ही दिलाता है।।
चुपचाप कानों में मेरे वह आकर गुनगुनाता है।
संग रहने का हमेशा वो विश्वास दिलाता है।।
क्यों हो गुमसुम सी रात संग मेरे मुस्करा दो।
मेरे आगोश में आओ मुझे अपना बना लो ।।
चांदनी को हर एक गम का मरहम लगा दो।
किरणों का लिबास पहनकर पल खुशनुमा बना दो।।

