डोर रेशमी
डोर रेशमी
बारंबार नमन है हमारे उन जाबांज
फौजी भाइयों को।
देश के लिये मर कर मिट जाने वाले
वीर भाइयो को।।
मां की चरणों में तन का हर कतरा अर्पण
करते भाइयों को।
देश के नाम अपना जीवन कुर्बान कर देने
वाले भाइयों को।।
क्या तोहफा दूं भैया तुम तो खुद उपहार हो
मेरे जीवन में।
बहन का प्यार संजोकर भेज रहे है इस रेशम
की इस डोर मे।।
स्वीकार करो इसे ढाल समझ तुम अब की बार
इस राखी में।
स्नेह का पवित्र बंधन है जो रहेगा साथ तुम्हारे
हर संकट में।।
दुश्मन के ताने हुये बंदुक की गोली के आगे ढाल
इसे बना लेना।
तोप और बारूद गोलो के आगे सुदर्शन चक्र सा
इसे तुम पाना।।
आने वाली हर विपदा से भैया तुझे मेरा ये प्यार
ही बचायेगा।
मेरा ये रक्षा सुत्र है जो हर पल बहन सा साथ
तुम्हारा निभायेगा।।
भैया मेरे तुम जन्मभूमि के हर फर्ज को निभाना अपना सब देकर।
इस बहन के साथ देश की हर बहन की रक्षा करना अपना समझकर।।
भुल न जाना कि भेज रहे अपना प्यार इस डोरी में
हम पिरोकर।।
सीमा पर डटे रहना दुश्मन को जवाब देना तुम अपना सीना तानकर।।