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Anamika Agrawal

Others

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Anamika Agrawal

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टेसू

टेसू

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फागुन के महीने में फिजा जब रंगों से सरोबार हो रहा था।

ढोल की आवाज से मौसम भी अब गुंजायमान हो रहा था।।

सुबह सबेरे जब कमरे की खिड़की से झांकता हुआ सूरज नजर आया।

टेसु के फूलों से टकराकर आ रही रोशनी ने भी कुछ याद दिलाया ।।

वर्षो पहले जब छोटे थे गांव के घर में दादी बाबा संग हम फाग खेलते थे ।

बचपन में तब हम फूलों को जाने कहां से तोड़ तोड़ एकत्र किया करते थे।।


साथ बैठ हाथों से तोड़कर उसे जमा कर जब पानी में घोलकर रंग बनाते थे।

मनमोहक खुशबू के साथ स्नेह के रंगों से बचपन की यादों को तब संजोते थे।।

मोहल्ले में जब ईना मीना के साथ पिचकारी लेकर घर घर जाकर हुड़दंग करते

घर के बड़े भी बच्चों के संग इन्द्रधनुषी रंगों के बयार में डूबकर गुम हो जाते।।

त्योहार का मजा तो परिवार संग सब के साथ हर रिश्ते के रंग में रंगकर आता

आज तो मोबाइल की दुनिया में सभ्यता के नाम खिलवाड़ ही नजर आता

टेसू के फूलों को देखकर मेरा मन आज भी बचपन की गलियों में जा रहा है

सामने रखा गुलाल आज के दिखावे वाली खुशियों से भेट करा रहा है ।



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