तन्हाई और तेरा इंतजार
तन्हाई और तेरा इंतजार
मैं करती रही तेरा इंतजार,
तेरे लौट आने की
उम्मीद के सहारे।
गिनती रही तन्हाई के पल,
अपनी पलको के झपकने पर।
उन तन्हाई के पलों में,
बुनती रही सपने तेरे साथ के।
उस इंतजार में जी गई मैं,
ना जाने कितनी सदिया,
एक एक पल में।
उस तन्हाई के साये में,
और गहरा जाता है,
गम तेरी जुदाई का।
उस इंतजार में कटती,
तमाम उम्र कुछ इस तरह,
कि जैसे ठहर चुका है वक्त,
उस तन्हाई का तोह्फा,
जो तुमने दिया है,
उम्र भर के लिए।
रखा है अपने सिरहाने,
तेरी वापसी की उम्मीद से।
उसी तोहफे में कैद है,
खुशियाँ मेरी जिंदगी की।
इंतजार है अब तो
तेरे लौट आने का।
जब खिलेगी मेरी खुशियाँ
इस तोहफे से आजाद होकर।

