तन्हा
तन्हा
तन्हा यहाँ आये थे,
तन्हा ही जाना है,
खाली हाथ आये थे,
दुनिया से जब कूच करेंगे,
खाली हाथ जायेंगे,
फिर क्यों वर्तमान न जीकर,
भविष्य तू टटोल रहा ?
सात पीढ़ीयों के लिए,
धन - माया बटोर रहा ?
आज तो जीता नहीं,
कल को अपने खोज रहा,
गर्भ से जब बाहर आया,
एक किलकारी पे
माँ ने दूध पिलाया,
विधाता ने तेरा भाग्य - पिटारा
साथ भिजवाया,
फिर क्यों तू इतना सोच रहा,
भाग्य अपने को कोस रहा,
वक़्त से पहले, भाग्य से ज़्यादा,
किसी को नहीं मिलता,
अपनी - अपनी क़िस्मत,
अपना - अपना हिस्सा,
पाते हैं यहाँ, माया के बाज़ार में,
स्वयँ को फ़िर क्यों तोल रहा,
कर्म की गति न्यारी है,
अपना - अपना हिस्सा,
अपनी - अपनी पारी है,
सात जन्मों का हिसाब,
रात - दिन क्यों जोड़ रहा,
धेला साथ न जायेगा,
सभी यहीं रह जायेगा,
बावरे की तरह फ़िर,
इत - ऊत क्यों डोल रहा,
लख - चौरासी भोग कर,
ये मानुष चोला पाया है,
नेक कमाई कर ले,
"शकुन" वही तेरी माया है ।