तन से दिव्यांग मन से नहीं
तन से दिव्यांग मन से नहीं
हूं तन से दिव्यांग मन से नहीं,
हौसला मुझ में भी कुछ कम नहीं l
मुश्किलों में भी मैंने मुस्कुराया है,
मेरे जज्बे को हर एक ने सरहाया है l
अपने दृढ़ता का सबूत मैंने भी दिया है,
अपना लोहा मैंने भी मनवाया है l
लोगों की झूठी सहानुभूति मुझे चुभती है,
पर उनकी यही सहानुभूति मेरी चुनौती है l
हूं मैं तन से लाचार पर मन से नहीं,
लड़ता हूं रोज खुद से हारता मैं नहीं l
निरंतर आगे बढ़ता हूं, रुकता मैं नहीं,
थकता हूं गिरता हूं, पर घबराता मैं नहीं l
हूं तन से दिव्यांग मन से नहीं,
हौसला मुझ में भी कुछ कम नहीं।
