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Sukanta Nayak

Inspirational

5.0  

Sukanta Nayak

Inspirational

तलवार की धार

तलवार की धार

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और एक दिन नयी सुबह 

कोमल - सी सूरज की ताप

भर के प्यार आँखों में

गरजती - बरसती बादल मन में

उमंगों की बारात निकली है आज तेरे दर पर...


सदियों से चली आयी है जो कहानी तेरी 

नदी के उस पार वो है कहानी मेरी

ये तारा वो तारा कितना है सितारा

फिर क्यों नहीं इतराता ये गगन सारा


सांझ तो आएगी, सुबह कहीं खो जाएगी 

पंछी लौट आएंगे जब कहीं दूर माझी अपनी कश्ती लगाएगा 

जीवन का है ये अनूठा सच

आज है कोई अपना, कल किसी और का हो जाएगा


हँसते हैं, कभी रोना तो पड़ेगा 

दिल को चूर करके कभी दिल लगाना पड़ेगा

जन्मे हैं, कभी मरना तो पड़ेगा 

आंधी आये या तूफ़ान

तलवार की धार पर चलना पड़ेगा...।।




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