तलाश
तलाश
दुनिया में सबकी तलाश
मिट जाए भूख पेट की
शायद मिल जाए सुकून
भागम भाग होगी ख़त्म
लगी रहती उम्र भर आस
पर ज़िन्दगी की कड़वी सच्चाई
मिटती है कब किसके
मन की भूख असंख्य
लगता की मिला हर शख्स
खुशहाल मालामाल
हम परेशान बेहाल
लगे रहते बिन बात की
आपाधापी के बीच
भाग भाग साँसों को खींच
इतना बस दे दो मालिक
जनता हो या जानवर
सर पर हो छत सबके
रोटी हो हर थाली।