तिरंगा
तिरंगा


बस एक तिरंगा ही घर-घर मे लहराये
हम भारतीय तिरंगे की रस्सी बन जाये
मरते वक्त बस यही आखरी तमन्ना है,
मेरा कफ़न तो बस ये तिरंगा हो जाये
सब जाति-पाति के झगड़े भूल जाये,
तिरंगे को ही हम अपनी जाति बनाये
तिरंगे को पूजे, तिरंगे की इबादत करे,
तिरंगे को अपनी सांस-सांस में समाये
भारत को वो पूजा, इबादत घर बनाये
जिसमें तिरंगा ही ख़ुदा,ईश्वर हो जाये
तिरंगे को कोई कोरा कपड़ा न समझे,
इस रूह को तिरंगे का दामन पहनाये
तिरंगे में हम साखी इस कदर खो जाये
जब भी प्राण निकले मेरे इस शरीर से,
इसे याद करते-करते ही हम सो जाये
और आखिर में तिरंगे में ही समा जाये।