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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Inspirational

4.5  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Inspirational

तिरंगा

तिरंगा

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बस एक तिरंगा ही घर-घर मे लहराये

हम भारतीय तिरंगे की रस्सी बन जाये

मरते वक्त बस यही आखरी तमन्ना है,

मेरा कफ़न तो बस ये तिरंगा हो जाये


सब जाति-पाति के झगड़े भूल जाये,

तिरंगे को ही हम अपनी जाति बनाये

तिरंगे को पूजे, तिरंगे की इबादत करे,

तिरंगे को अपनी सांस-सांस में समाये


भारत को वो पूजा, इबादत घर बनाये

जिसमें तिरंगा ही ख़ुदा,ईश्वर हो जाये

तिरंगे को कोई कोरा कपड़ा न समझे,

इस रूह को तिरंगे का दामन पहनाये


तिरंगे में हम साखी इस कदर खो जाये

जब भी प्राण निकले मेरे इस शरीर से,

इसे याद करते-करते ही हम सो जाये

और आखिर में तिरंगे में ही समा जाये।


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