तिरंगा :शहीदों का कफन
तिरंगा :शहीदों का कफन
ये वतन हमारा युग-युग से, माटी की कीमत पहचानें।
इस लहू के पहरेदारों की शहादत को हम झुक के मानें।
नाम किया भारत का जग में, उन शहीदों को नमन करे।
शान तिरंगे की रखकर, भारत की रग में जोश भरे।
वे वीर सिपाही जान गंवा, भारत को स्वर्ण बनाते हैं।
मातृभूमि के वीरों पर, तिरंगा-कफन चढ़ाते हैं।
इस देश की शान तिरंगा है, बलिदानी के रक्त में रंगा है।
सो गया सिपाही आँख मूंद,, माथे से टपके रक्त बूंद।
ये रक्त बूंद धरती पे गिर के, रक्त बीज बन जाती है।
एक शहीद के बदले दस जन्में, तो फिर से फौज बन जाती है।
मस्तक का ताज, कश्मीरी राज, कोई छीन हमसे नहीं पाते हैं,
यह हक उन वीर सपूतों का, तिरंगा-कफन चढ़ाते हैं।
केसरिया श्वेत हरे की महत्ता, पूरा भारत जानता है।
उस धवल रंग पे नीले चक्र को, दुश्मन भी पहचानता है।
आज देश की शान तिरंगा, जिसके दम पर लहराए।
वो वीर कोई और नहीं, भारत का सैनिक कहलाए।
जंग में मर के भी जो जीते, स्वयं सम्मान पा जाते हैं।
मातृभूमि की जो रक्षा करे, तिरंगा -कफन चढ़ाते हैं।।